भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता: …
भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता:
तपो न तप्तं वयमेव तप्ता:।
कालो न यातो वयमेव याता:
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णा:॥
हमने भोग नहीं भुगते, बल्कि भोगने ही हमें भुगता है ।
हमने तप नहीं किया, बल्कि हम स्वयं ही तप्त हो गये हैं ।
काल पसार नहीं हुआ, हम ही पसार हुए हैं ।
तृष्णा जीर्ण नहीं हुई, पर हम ही जीर्ण हुए हैं ।